प्रेग्नेंसी के समय डायबिटीज होना मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक, ऐसे बचें!

प्रेग्नेंसी के समय डायबिटीज होना मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक, ऐसे बचें!

सेहतराग टीम

डायबिटीज रोग आज के समय में काफी सामान्य हो गया है। ये अधिकतर लोगों को होने लगा है। ये समस्या हर वर्ग को परेशान करता है। लेकिन गर्भवती महिलाओं को इस समस्या में कुछ ज्यादा ही चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह इसलिए होता है क्योंकि प्रेग्नेंसी के समय में महिलाओं में कई तरह के बदलाव आते हैं जो ब्लड शुगर बढ़ाने में काफी मदद करते हैं। वहीं जब ब्लड शुगर बढ़ता है तो मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। यही नहीं डायबिटीज के कारण बच्चे समय से पहले ही जन्म ले लेते हैं। ऐसी स्थिति में इसे कैसे कंट्रोल करें ये बड़ी समस्या है। तो आइए जानते हैं कुछ घरेलू उपाय-

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घरेलू नुस्खे

  • लंबी-लंबी सांसे ले। 
  • गिलोय का काढ़ा डायबिटीज को कंट्रोल करने में कारगर हो सकता है। इसके लिए 1 गिलास पानी में 4-5 इंच की गिलोय की डंठल कूटकर डाल गें और धीमी आंच में पकने दें। जब पानी आधा हो जाए तो इसे ठंडा होने दें। ठंडा होने के बाद इसे छानकर इसका सेवन करें। 
  • रोजाना मधुनाशिनी की 1-1 गोली का सेवन करे। इससे ब्लड शुगर में लाभ मिलेगा।धा खीरा
  • एक करेलास, एक टमाटर, एक आंवला, 4-5 सदाबहार के फूल, थोड़ा एलोवेरा, 1-2 इंच गिलोय, थोड़ा चिरैता को जूस ग्राइंडर में डालकर सभी का जूस निकाल लें। इसके बाद रोजाना सुबह-सुबह इसका सेवन करे।

प्रेग्नेंट महिलाएं ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए करे ये योगासन

प्रेग्नेंसी के समय ब्लड शुगर की समस्या होना काफी खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए जरूरी हैं कि प्रेग्नेंसी के समय अच्छा खानपान  और योगासन के द्वारा इस समस्या को खत्म किया जाता सकता है। 

अनुलोम-विलोम

सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरे और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 15 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं।

उद्गीथ प्राणायाम

इस प्राणायाम को करने के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं और शांत मन से 'ऊं' के उच्चारण करते हैं। इस प्राणायाम को करने से पित्त रोग, धातु रोग, उच्च रक्तताप जैसे रोगो से निजात मिलता है।

भ्रामरी

इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद कते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 3-21 बार किया जा सकता है।

 

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